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मध्यप्रदेश में अमानवीयता की हद: कथावाचक से मूत्र शुद्धिकरण के बाद अब लोधी युवक को जबरन मल खिलाने का आरोप

भोपाल। आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी देश में जातीय वैमनस्य और अमानवीयता की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सोशल मीडिया पर वॉयरल हो रहा ताजा मामला मध्यप्रदेश से सामने आया है, जहाँ पहले एक यादव कथावाचक को ब्राह्मण समुदाय की महिला के मूत्र से कथित रूप से ‘शुद्ध’ किया गया, और अब एक लोधी समाज के युवक को जबरन मल खिलाने की दर्दनाक घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।

घटना को लेकर क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है। सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने इसे आज़ादी के अमृत महोत्सव पर एक ‘मल महोत्सव’ करार देते हुए शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।

लोगों का कहना है कि क्या यही वह आज़ादी है जिसके लिए देश के लाखों लोगों ने बलिदान दिया था? क्या 21वीं सदी में भी इंसान को जाति के आधार पर अपमानित किया जाना स्वीकार्य है?

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मामले में तत्काल संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की अमानवीयता का शिकार न हो।

जनता का एक वर्ग मुख्यमंत्री से यह भी कह रहा है कि यदि थोड़ी भी नैतिक जिम्मेदारी और संवेदना शेष है तो शासन को ऐसे मामलों पर ‘चुल्लू भर पानी में डूब मरने’ जैसी शर्म की अनुभूति होनी चाहिए।

सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या देश जातीय अहंकार और सामाजिक बर्बरता के दलदल से कभी उबर पाएगा?

पुलिस द्वारा मामले की जाँच प्रारंभ कर दी गई है, लेकिन पीड़ित पक्ष का आरोप है कि प्रभावशाली वर्ग के दबाव में कार्रवाई धीमी है।

अब देखना यह है कि प्रशासन और सरकार इस अमानवीयता के खिलाफ कैसी और कितनी तेज़ कार्रवाई करती है।

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